
राष्ट्कुल खेलों की तैयारी और आयोजन के दौरान हुई अनियमितताओं की जांच में पूरा का पूरा सरकारी अमला दोषियों को बचाने में लगा है ऐसा साफ जाहिर हो रहा है ।पूरे प्रकरण ने राजनैतिक रूप ले लिया है इस बात की पुष्टी सिर्फ इसी बात से हो जाती है कि सबसे पहला छापा भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधांशु मित्तल के घर एवं कार्यालय पर मारा गया है। जबकि भारत के बच्चों से भी पुंछा जाय तो वे सुरेश कलमाणी का नाम लेंगे। इस बात की पुष्टी आयोजन के उद्घाटन समारोह में उनके व्यक्तव्य के समय हुई हूटिंग से ही हो गयी थी जो भारत की आम जनता द्वारा की गयी थी।यह वही आम जनता थी जिसके पैसे से ये खेल आयोजित हुआ था।
भारत की जनता बहुत ही आसानी से सबकुछ भूल जाती है,कॉमनवेल्थ गेम्स की चकाचौंध में वह अपने पेट की भूख भी भूल गयी,वह भूल गयी की मंहगाई ने उसकी कमर तोड रखी है।भारत की इस भूलने की प्रकृति के जिम्मेदार कुछ मायने में मीडिया भी है,क्यूँकि वह भी टी आर पी और प्रसार संख्या के भंवर में ऐसा फंसे हैं कि उन्हें आम आदमी की समस्यायें दिखाई ही नहीं देतीं।
कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं
ReplyDeleteकुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं
और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं
फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं
आशा है की आगे भी मुझे असे ही नई पोस्ट पढने को मिलेंगी
आपका ब्लॉग पसंद आया...इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी
कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
बहुत मार्मिक रचना..बहुत सुन्दर...होली की हार्दिक शुभकामनायें!