हमने कभी प्रलय नहीं देखी थी
नहीं देखे थे ऐसे डरावने मंजर
शवों की ऐसी दुर्गति नहीं देखी थी
लंबी लाइनें तो बहुत देखी थीं लेकिन
लाशों की इतनी लंबी-लंबी लाइनें नहीं देखी थीं
सिस्टम का ऐसा व्यवहार नहीं देखा था
इंसान को इतना लाचार नहीं देखा था
नहीं झेला था कभी श्मशान का इतना धुआं
इतनी कब्रें, इतनी चिताएं... फिर भी श्मशान पर इंतजार नहीं झेला था
कोरोना ने इन सबसे एक झटके में रू-ब-रू करा दिया
कोरोना... एक प्रलय ही तो है...
फिर भी एक उम्मीद है कि...
जल्द छंटेगा ये दर्द का कुहांसा
थमेंगी लोगों की चित्कार
खत्म होगी ये जद्दोजहद
खत्म होगा ये लंबा इंतजार...
टेस्ट के लिए...
रिपोर्ट के लिए...
भर्ती के लिए...
दवा के लिए...
इंजेक्शन के लिए...
ऑक्सीजन के लिए...
प्लाज्मा के लिए...
और अंत में अंतिम संस्कार के लिए...