लाशों के इस जंगल में
एक लाश मेरी भी थी और उसकी भी...
बड़ी खुशहाल थी ये दुनिया
उस 'सुनामी' से पहले
जो आज बंजर हो चली
यहां भी होती थी होली और दीवाली
और जमकर मनाई जाती थी ईद
पर एक तूफान आया और
सब खतम...
बचा तो बस
लाशों का ढेर
मातम का शोर
दूर तक पसरा मौत का सन्नाटा
और...
कुछ जिंदा लाशें
जो मर गए वो तो जिंदा हो गए कहीं
जो जिंदा बचे वो मर गए
हमेशा... हमेशा के लिए
अब न कोई दु:ख है न कोई चिंता
बस...
अपनी लाश का भारी बोझ
खुद ढोए जा रहे हैं वो लोग
अपने आखिरी सफर पर
खुद चले जा रहे हैं... वो लोग
और वो आखिरी सफर..
न जाने कब
और कहां
खतम होगा!!!