Friday, May 15, 2009

इस देश को फ़िर से सोने की चिडिया बनायें हम


कल रात जब मै अँधेरी बस्ती से गुजर रहा था ,
आदमी गर्मी में मर रहा था ,
ये देख मुझे बस इक बात थी याद आयी
जो है हमारे देश की जग हंसाई।
कि , नींद मखमल के बिस्तर पे आती किसी को नहीं ,
और कोई मरता है दो गज कफ़न के लिये॥
हम सोते हैं कूलर में ,कमरे में ,बिस्तर पर ,
उन्हें क्यूँ नींद आ जाती है ईंटों पर ।
आख़िर कब आयेगा इस देश में वह दिन
जब सबके पास अपना घर होगा ,सबकी समान शिक्षा होगी ।
आख़िर कब तक यहाँ सिर्फ़ सीता ही दोषी बनायी जायेगी ,
आख़िर कब तक यहाँ मोहब्बत सूली पर चढाई जायेगी ।
आख़िर कब तक देश के नौनिहालों को अंग्रेजी शिक्षा दिलाई जायेगी,
आख़िर कब तक ......
आओ आज इस परम्परा से निजात पायें हम,
इस देश को फिर से सोने की चिड़िया बनायें हम॥
आख़िर कब तक यहाँ बुद्ध मुस्कुरायेंगे
आख़िर कब तक यहाँ धर्म आग लगायेंगे
आख़िर कबतक यहाँ खून की होली होगी, वोटों की बोली होगी,
आख़िर कब तक ......
आओ आज सबको गले लगायें हम ,
इस देश को फिर से सोने की चिड़िया बनायें हम॥
आख़िर कब तक यहाँ इंडिया आगे बढ़ता रहेगा!
आओ भारत को आज आगे बढायें हम, भारतीयता की ज्योति जलायें हम,
इस देश को फिर से सोने की चिड़िया बनायें हम
आओ एक कदम और आगे बढायें हम ,
इस देश को फ़िर से सोने की चिडिया बनायें हम ,
इस देश को फ़िर से सोने की चिडिया बनायें हम॥

Monday, May 4, 2009

"लखनऊ की महफिलों में हैं शादियाँ लगातार, सड़को पर रहती है ट्रैफिक की भरमार.."

शादी सीजन होने की वजह से चारों तरफ़ शोर शराबा, धूम, धडाका, खुशियाँ है। सब कुछ है लखनऊ की सडको पर लेकिन इसी के साथ यहाँ गाड़ियों की भरमार भी है। जिससे हर तरफ, हर गली में जाम लगातार बना रहता है।
इस जाम के पीछे वजह सिर्फ़ एक है- अवध की शानो शौकत जो पुश्तों दर पुश्तों आज भी हमारी रग-रग में काबिज है। हम नवाबी शहर के बाशिंदे हैं तो भला कहीं ऐसा हो सकता है की हम किसी पार्टी में जाए और बिना साजो सामान के चले जायें। हमारी इसी फितरत की वजह से ही तो चारों ओर गाड़ियों के हार्न चिघाड़ा करते हैं और आम आदमी उसी में मरता रहता है। गाड़ी बड़ी हो या छोटी जल्दी सबको होती है और तो और गाड़ियों में बैठे रहते हैं बस दो या तीन लोग जबकि उसमें आराम से चार पॉँच लोग बैठ सकते हैं।
अब वह समय आ गया है की हमें इस बात का ध्यान कर लेना चाहिए की अवध अब लखनऊ हो गया है और हमें इसके विकास में हर सम्भव प्रयास करना चाहिए, जिसके लिए ट्रैफिक का सुचारू रूप से चलना बहुत जरूरी है। हमें अपने जिंदगी के दो मिनट बचाने के लिए प्राइवेट साधन का इस्तेमाल न करके पब्लिक साधन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि सड़को पर कम से कम भीड़ हो और ट्रैफिक ठीक से चल सके, जिससे हमारे शहर और देश की प्रगति हो।